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होली पर जेल में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल।

होली पर जेल में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल।


मातृभूमि की पुकार (संवाददाता)

शाहजहांपुर जेल में होली का पर्व इस वर्ष अनूठे अंदाज में मनाया गया। शाहजहांपुर जनपद में परंपरागत तरीके से निकलने वाले लाट साहब के जुलूस की तर्ज पर जेल में बंदियों द्वारा भी जुलूस निकालने की इच्छा प्रकट की उनका मानना था कि जेल में बंद होने के कारण हम लाट साहब के जुलूस को नहीं देख पाएंगे तो ऐसी कोई व्यवस्था की जाए जिससे जेल में भी हम वैसी अनुभूति कर सकें विचारोपरांत यह निर्णय लिया गया कि जेल में प्रत्येक बंदी किसी न किसी अपराध में बंद है और जेल प्रशासन का कार्य बंदी सुधार और कल्याण है। बंदियों को यह बताया गया कि आप लोग लाट साहब के जुलूस की तर्ज पर एक मानव का पुतला तैयार करें जो कि एक अपराधी की अनुकृति हो, बंदियों द्वारा एक सुंदर सा पुतला तैयार किया गया जिस पर विभिन्न प्रकार के अग्नेयास्त्र एवं धारदार चाकू आदि की अनुकृतियां बनाई गई थी तथा उसके शरीर पर खून के जगह-जगह निशान पेंट किए गए ।होली के दिन इस पुतले के साथ पूरी जेल में सभी बैंरकों हातों एवं स्थानों पर सभी बंदियों के साथ इसका जुलूस निकाला गया सभी बंदियों ने गाने और नृत्य के साथ खुशी-खुशी जुलूस में हिस्सा लिया और दोबारा अपराध न करने और जेल ना आने की शपथ ली। बंदियों में इस कदर खुशी का माहौल था कि वह उछल-उछलकर नृत्य कर रहे थे साथ ही साथ ढोल और नगाड़ों के साथ गाने गा रहे थे। जेल अधीक्षक मिजाजी लाल को उन्होंने खुशी में अपने कंधों पर बिठा लिया और नृत्य करते रहे। 

महिला बंदियों में भी गजब की खुशी और उत्साह का माहौल था। सभी महिला बंदियों ने अधिकारियों और महिला स्टाफ के साथ खूब गाने गाए ,नृत्य किया तथा एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाया, जेल में ही उत्पादित फूलों की होली खेली गई पुरुष बंदियों के बीच में भी अधीक्षक के द्वारा फूल बरसाए और सबके गले मिले। 

इस अवसर पर विशेष बात यह रही की सभी धर्म और संप्रदाय के बंदियों ने होली के महापर्व में भागीदारी की और सभी के साथ गले मिलकर एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं दी। अधिकारियों कर्मचारियों एवं सभी बंदियों के द्वारा यह प्रतिक्रिया व्यक्त की गई इस वर्ष की होली हमारी जिंदगी के लिए एक यादगार घटना रहेगी। कई अधिकारियों ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की कि मेरे पूरे सेवा काल में ऐसी होली नहीं मनाई गई सभी ने खुशी-खुशी मिलकर होली मनाई। जेल अधीक्षक के द्वारा अपने आवासीय परिसर में सभी स्टाफ एवं उनके परिवारों के लिए दोपहर में भोज का प्रबंध किया और सबके रंग और गुलाल लगाकर गले मिले और खुशी-खुशी होली का त्यौहार मनाया। जेल में निरुद्ध सभी बंदियों के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की गई जिसमें पूड़ी ,विशेष सब्जी एवं हलवा भेंट किया गया। जेल अधीक्षक के द्वारा अपने स्तर से महिला बंदियों के लिए पूड़ी, छोले-भटूरे, पुलाव एवं ग़ुलाब जामुन बनवाया।

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