भैंसी नदी के भागीरथ अब नाहिल झील को देंगे नया जीवन।

भैंसी नदी के भागीरथ अब नाहिल झील को देंगे नया जीवन।

मातृभूमि की पुकार (ब्यूरो रिपोर्ट धीरज गुप्ता)
जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने संभाली जिम्मेदारी, बोले छः माह में झील बनेगी पर्यटन स्थल।
शाहजहांपुर – भैंसी नदी को नया जीवन देने वाले जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह अब ऐतिहासिक नाहिल झील के पुनर्जीवन का संकल्प लेकर आगे बढ़ चुके हैं। शनिवार को उन्होंने तहसील पुवायां क्षेत्र के ग्राम नाहिल में झील का स्थलीय निरीक्षण किया और इसे फिर से जीवन देने की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।नाहिल झील, जो कभी अपने नीले कमलों और विदेशी पक्षियों की चहक से गूंजती थी, अब सूखेपन और उपेक्षा का शिकार है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस झील को उसके प्राकृतिक स्वरूप में पुनः स्थापित किया जाएगा ताकि यह फिर से अपनी ऐतिहासिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पहचान हासिल कर सके।उन्होंने स्पष्ट कहा कि झील की भूमि पर हुए सभी अवैध कब्जे हटाए जाएंगे और कोई भी कब्जेदार बच नहीं पाएगा। साथ ही झील का सौंदर्यीकरण, फेंसिंग, वृक्षारोपण और बाबा रघुनाथपुरी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। झील को जोड़ने वाले पहुंच मार्गों के निर्माण और पर्यटन विकास के लिए कार्यदायी संस्था को विस्तृत योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।इसके साथ ही जिलाधिकारी ने झील परिसर में एक गौ अभ्यारण केंद्र स्थापित करने की घोषणा की, जिसमें 5 से 7 हजार गौवंश को आश्रय मिलेगा। उन्होंने बताया कि इससे न सिर्फ निराश्रित पशुओं की समस्या का समाधान होगा बल्कि झील का पूरा क्षेत्र एक संतुलित पारिस्थितिक तंत्र के रूप में विकसित होगा।
बाबा तुरन्तनाथ मंदिर पहुंचकर जिलाधिकारी ने दर्शन और मत्था टेककर मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार की रूपरेखा का भी निरीक्षण किया। उन्होंने ग्रामीणों से संवाद करते हुए सहभागिता योजना की जानकारी दी और कहा कि जो लोग दूध न देने वाली गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं, वे ऐसा न करें। सरकार प्रति गाय 50 रुपये प्रतिदिन यानी 1500 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दे रही है ताकि ऐसी गायों की समुचित देखभाल हो सके।निरीक्षण के दौरान उप जिलाधिकारी चित्रा निर्वाल सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।अब उम्मीदें हैं कि जैसे भैंसी नदी ने नया जीवन पाया, वैसे ही नाहिल झील भी फिर से अपने नीले कमलों और पक्षियों की चहक से सज जाएगी।




