जिलाधिकारी ने भद्राशिला नदी का किया निरीक्षण, पुनर्जीवन की संभावनाओं पर किया विचार-विमर्श।

जिलाधिकारी ने भद्राशिला नदी का किया निरीक्षण, पुनर्जीवन की संभावनाओं पर किया विचार-विमर्श।
मातृभूमि की पुकार (ब्यूरो रिपोर्ट धीरज गुप्ता)
शाहजहांपुर, 3 जुलाई 2025। जनपद की ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्ता वाली भद्राशिला नदी का आज जिलाधिकारी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा गहन निरीक्षण किया। भद्रशीला नदी का उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है। यह नदी अपनी ऐतिहासिक पहचान और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के कारण जनपद की गौरवशाली धरोहरों में गिनी जाती है। पौराणिक कथाओं में उल्लेखित इस नदी का अभी भी मूल स्वरूप में मौजूद होना एक सकारात्मक संकेत है।जिलाधिकारी ने निरीक्षण के उपरांत बताया कि यह नदी लगभग 100 किलोमीटर से 120 किलोमीटर की लंबाई में फैली है, और आज इसके अंतिम छोर तक भ्रमण किया गया है। उन्होंने कहा कि नदी के संरक्षण और पुनर्जीवन को लेकर विभागीय एवं तकनीकी विशेषज्ञों के साथ गहन विचार-विमर्श किया जाएगा, जिससे इस प्राकृतिक धरोहर को पुनः उसकी पुरातन गरिमा में लाया जा सके।इस कड़ी में जिलाधिकारी ने बृहस्पतिवार को प्रस्तावित दर्शन यात्रा के अंतर्गत वे महत्वपूर्ण स्थल चिन्हित किए गए हैं, जहाँ नदी को पुनर्जीवित करने की संभावनाएं अत्यंत प्रबल हैं। इस दौरान जिलाधिकारी ने भद्राशिला तट पर सत्यनारायण भगवान की कथा, आरती में भी सहभागिता की।
ये स्थल निम्नलिखित हैं:
1. राहदेव गौटिया बाली झाल – मदनापुर
2. गुलौलाखेड़ा – कांठ
3. नारायणपुर पट्टी करमु – कांठ
4. सरैया मोड़ मंदिर – कांठ
5. मोहनपुर पुलिया – कांठ
6. मदरौली – प्रतापपुर के बीच की पुलिया – मदनापुर
7. चड्यूरा बहादुरपुर एवं खाईखेड़ा – मदनापुर क्षेत्र
8. रूपापुर – जलालाबाद क्षेत्र
9. कोलाघाट रोड स्थित त्रिवेणी संगम स्थल – जहाँ बहगुल, रामगंगा और भद्राशिला नदियाँ मिलती हैंजिलाधिकारी ने यह भी कहा कि यदि इन चिन्हित बिंदुओं पर योजनाबद्ध कार्यवाही की जाए तो भद्राशिला नदी का पुनर्जीवन संभव है और यह क्षेत्र पर्यटन, धार्मिक एवं जैविक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध बन सकता है।उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि यात्रा से पूर्व सभी स्थलों की भौगोलिक, तकनीकी और पर्यावरणीय रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत की जाए, ताकि यथासंभव शीघ्र कार्यवाही प्रारंभ की जा सके।