शाहजहांपुर

पुवायां तहसील के एसडीएम रिंकू सिंह राही को राजस्व परिषद से संबद्ध, वायरल वीडियो के बाद कार्रवाई।

पुवायां तहसील के एसडीएम रिंकू सिंह राही को राजस्व परिषद से संबद्ध, वायरल वीडियो के बाद कार्रवाई।


मातृभूमि की पुकार (संवाददाता)

शाहजहांपुर। शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील में तैनात उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) रिंकू सिंह राही को एक विवादास्पद घटना के बाद राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है। यह कार्रवाई तब हुई जब उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह तहसील परिसर में वकीलों के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करते और माफी मांगते नजर आए। इस घटना ने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया और इसे प्रशासनिक गरिमा पर सवाल उठाने वाला माना गया।मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को पुवायां तहसील में रिंकू सिंह राही का पहला कार्यदिवस था। उन्होंने तहसील परिसर का निरीक्षण किया, जहां उन्हें परिसर में गंदगी और कुछ लोगों द्वारा खुले में पेशाब करने की समस्या दिखी। राही ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कुछ लोगों, जिनमें एक वकील का मुंशी भी शामिल था, से उठक-बैठक करवाई। इस कार्रवाई से नाराज वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया और धरने पर बैठ गए। स्थिति को शांत करने के लिए रिंकू सिंह राही ने वकीलों के सामने खुद कान पकड़कर उठक-बैठक की और माफी मांगी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की।रिंकू सिंह राही ने बाद में स्पष्ट किया कि उन्होंने परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया था। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने शौचालय का उपयोग करने की सलाह को नजरअंदाज किया, जिसके बाद उन्होंने अनुशासनात्मक कार्रवाई की। हालांकि, वकीलों के विरोध के बाद बेहतर तालमेल बनाने के लिए उन्होंने माफी मांगी।वायरल वीडियो के बाद शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने इस घटना की जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि यह घटना प्रशासनिक गरिमा के खिलाफ थी, जिसके बाद रिंकू सिंह राही को तत्काल प्रभाव से पुवायां तहसील के एसडीएम पद से हटाकर राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया। इस कार्रवाई को प्रशासनिक अनुशासन और गरिमा बनाए रखने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

#रिंकू_सिंह_राही का विवादों से पुराना नाता

रिंकू सिंह राही पहले भी विवादों में रहे हैं। 2008 में मुजफ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी के रूप में कार्यरत रहते हुए उन्होंने छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में 100 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया था। इस साहसिक कदम के बाद 2009 में उन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें उन्हें 6-7 गोलियां लगीं और उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। इसके बावजूद, उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी। 2012 में उन्होंने लखनऊ में अनशन भी किया था, जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें मानसिक चिकित्सालय भेजने की कोशिश की थी।राही का यह साहसिक और बेबाक रवैया उन्हें सुर्खियों में लाता रहा है। हाल ही में मथुरा में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यरत रहते हुए उनका तबादला शाहजहांपुर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर हुआ था।

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