फर्रुखाबाद

( गुमनामी के अंधेरे में फर्रुखाबाद को बसाने वाले नवाब का मकबरा )। मकबरे के गुंबद जगह-जगह से टूट चुके,चारों ओर ऊंची-ऊंची झाड़ियां उगी।

ब्यूरो रिपोर्ट फर्रुखाबाद 

संजीव कुमार प्रजापति 

( गुमनामी के अंधेरे में फर्रुखाबाद को बसाने वाले नवाब का मकबरा )। मकबरे के गुंबद जगह-जगह से टूट चुके,चारों ओर ऊंची-ऊंची झाड़ियां उगी।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट:- फर्रुखाबाद तीन सौ साल पहले फर्रुखाबाद को बसाने वाले नवाब मोहम्मद खान बंगश का मकबरा आज बदहाली में है। मकबरे के गुंबद जगह-जगह से टूट चुके हैं, साथ ही मकबरे का फर्श भी चटक गया है. इसके अलावा मकबरे के चारों ओर ऊंची-ऊंची झाड़ियां उग आयी हैं. नवाब मोहम्मद खां बंगश का मकबरा पुरातत्व विभाग के अधीन होने के बावजूद गुमनामी के अंधेरे में है।

नवाब बंगश ने 27 दिसंबर 1713 को फर्रुखाबाद शहर की बुनियाद रखी थी. मुगल शासक फर्रुखशियर के नाम पर इस शहर को 1714 में बसाया गया था. लेकिन मुगलिया सल्तनत के कमजोर होने के बाद वर्ष 1715 में मोहम्मद खान बंगश ने स्वयं को फर्रुखाबाद का नवाब घोषित कर दिया था।

 

कौन थे नवाब मोहम्मद खान बंगश कब हुआ था जन्म ……?

नवाब मोहम्मद खान बंगश का जन्म 1665 को फर्रुखाबाद के मऊ रशिदाबाद में हुआ था. इनके पिता ऐन खान बंगश अफगानिस्तान में एक कबीले के सरदार हुआ करते थे. ऐन खान बंगश रोजी-रोटी की तलाश में हिंदुस्तान आए थे. उनका मऊ के एक पठान की बेटी से विवाह हुआ था. उनके यहां छोटे बेटे के रूप में नवाब मोहम्मद खान बंगश का जन्म हुआ था। इतिहासकार डॉ. रामकृष्ण राजपूत के मुताबिक, साहसी मोहम्मद खान बंगश 20 साल की उम्र से ही युद्ध करने लगे थे. फर्रुखाबाद का नवाब बनने के बाद मोहम्मद खान बंगश ने अपने शहर के विकास और विस्तार के लिए कई नेक काम किए थे. उन्होंने महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाया था, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या न हो. वर्ष 1743 को मोहम्मद खान बंगश की मौत हो गई।

फर्रुखशियर का इतिहास…….!

फर्रुखशियर का जन्म 20 अगस्त 1685 को हुआ था. वह एक मुगल बादशाह थे. जो सैयद बंधुओं (मुगल वजीर सैयद अब्दुल्लाह खान बरहा और सैयद हसन अली खान बरहा) की मदद से वर्ष 1713 को मुगल साम्राज्य का शासक बने. फर्रुखशियर ने वर्ष 1713-1719 तक हिंदुस्तान पर शासन किया, लेकिन 1719 को उनकी हत्या कर दी गयी।

नवाब वंश के आखिरी शासक तफज्जुल हुसैन खान को किया मुल्क बदर…….!

इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि मोहम्मद खान बंगश आज के पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वाह के बंगश कबायली से आते थे. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से शिकस्त के बाद 1846 में नवाब वंश के आखिरी शासक तफज्जुल हुसैन खान को मुल्क बदर कर मक्का भेज दिया था. जबकि वर्ष 1857 की क्रांति में नवाब मोहम्मद खान बंगश के उत्तराधिकारियों ने अंग्रेजों से लोहा लेने की कोशिश की. हालांकि आजादी के बाद नवाब मोहम्मद खान बंगश के कुछ उत्तराधिकारी पाकिस्तान चले गए।

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