फर्रुखाबाद जिले में एक ऐसा तालाब, जिसमें नहाने से चर्म रोग हो जाता ठीक,गहराई करीब (30) फीट।

ब्यूरो रिपोर्ट फर्रुखाबाद
संजीव कुमार प्रजापति
फर्रुखाबाद जिले में एक ऐसा तालाब, जिसमें नहाने से चर्म रोग हो जाता ठीक,गहराई करीब (30) फीट।
कैसे पड़ा चिंतामणि तालाब का नाम।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट:- फर्रुखाबाद जिले के शमशाबाद ब्लॉक क्षेत्र में ऐतिहासिक तालाब है, जिसका नाम चिंतामणि है. इस तालाब में स्नान करने दूर दराज से श्रद्धालु यहां आतेे हैं. मान्यता है कि इसमें स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाता है। भारत में ढेरों ऐसे मंदिर हैं जो अपनी आस्था और स्थापत्य कला के लिए जाने जाते हैं. सभी मंदिरों की अपनी मान्यता और विश्वास हैं, तो कई चमत्कारों से भरे हैं जो आज भी शोध के विषय हैं. जिले में एक ऐसा तालाब भी है, जिसमें स्नान करने मात्र से असाध्य से असाध्य चर्म रोग दूर हो जाते हैं. शमशाबाद ब्लॉक क्षेत्र में बने इस तालाब का नाम चिंतामणि हैं।
कहा पर स्थित है ये तालाब …….।
दरअसल, शमशाबाद ब्लॉक के गांव नगला नान में बने इस चिंतामणि तालाब के बारे में ग्रामीण बताते हैं कि इस तालाब का पानी कभी सूखता नहीं. तालाब के अंदर 7 कुएं बने हुए हैं. अंदर ही अंदर व किनारे पक्की सीढ़ियां बनी हैं. इस तालाब की गहराई करीब 30 फीट है. ग्रामीण बताते हैं कि पांडवों ने 1 साल का अज्ञातवास इस तालाब के किनारे रहकर ही काटा था. यहीं पर द्रोपदी पांडव स्नान कर भगवान शंकर व हनुमान की पूजा करते थे. बाद में यह मुगल शासकों का पसंदीदा तालाब बन गया।
कैसे पड़ा चिंतामणि तालाब का नाम…….।
तालाब पर बने मुद्दों में उर्दू भाषा में कुछ आयतें लिखी गई थीं, जिन्हें आज भी देखा जा सकता है.रिपोर्टयहां के लोग बताते हैं कि राजा चिंतामणि को कुष्ठ रोग हो गया था. वह गंगा स्नान के लिए हरिद्वार जा रहे थे. नगला नान के पास राजा चिंतामणि ने शौच के बाद तालाब में स्नान किया तो उन्हें कोढ़ में कुछ लाभ मिला. इस पर उन्होंने रोजाना तालाब में स्नान करना शुरू कर दिया और उन्हें कोढ़ रोग से मुक्ति मिल गई. इसके बाद राजा ने इसका जीर्णोद्धार कराया तो इसका नाम राजा चिंतामणि तालाब पड़ गया. इस तालाब में बहुत से जल जीव भी हैं.
किससे बना है ये तालाब…..।
यह प्राचीन चिंतामणि तालाब ककैया ईट से बना हुआ है।इस ताल की विशेषता यह है कि इसमें सीढ़ियां, दरवाजे, गुंबद आदि किनारों पर बने हैं। इसके साथ ही ताल के आस पास महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए स्थान बने हैं। एक कोने में पुरानी मठिया है। और सती मंदिर भी है।